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दृष्टी द्रव्य पर रखना है। विकल्प आयें परन्तु दृष्टि एक द्रव्य पर है। जिस प्रकार पतंग आकाश में उड़ती है परन्तु डोर हाथ में होती है, उसी प्रकार “चैतन्य हूँ” यह डोर हाथ में रखना। विकल्प आयें, परन्तु चैतन्यतत्व सो मैं हूँ – ऐसा बारम्बार अभ्यास करने से दृढ़ता होती है।
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Bol