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संसार की अनेक अभिलाषारूप क्षुधा से दुःखित मुसाफिर! तू विषयों के लिए क्यों तरसता है ? वहाँ तेरी भूख शांत नहीं होगी। अंतर में अमृतफलों का चैतन्य वृक्ष लगा है उसे देख तो अनेक प्रकार के मधुर फल एवं रस तुझे प्राप्त होंगे, तू तृप्त – तृप्त हो जायेगा।
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Bol