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एक सत-लक्षण आत्मा – उसीका परिचय रखना। “ जैसा जिसको परिचय वैसी उसकी परिणति "। तू लोकाग्र में विचरने वाला लौकिक जनों का संग करेगा तो वह तेरी परिणति पलट जाने का कारण बनेगा। जैसे जंगल में सिंह निर्भय रूप से विचरता है उसी प्रकार तू लोक से निरपेक्षरूप अपने पराक्रम से पुरुषार्थ से, अंतर में विचरना।
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Bol