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Lord Aadinath! The sound of trumpets - is echoing in the sky pronouncing your glory; reverberating all the directions by its profound, clear and sweet sound; announcing the glory of attainment of true knowledge to the living beings of all the three worlds; and cheering entire Jainism and its initiators (the ‘Tirthankara devas’). 32.
अपनी गम्भीर तथा ऊँची आवाज से समस्त दिशाओं को ध्वनित करने वाला, तीनों लोकों के प्राणियों को शुभ समागम की सम्पत्ति प्रदान करने में समर्थ तथा सद्धर्म राज्य की स्थापना का मानो उद्घोष करता हुआ दुन्दुभि-वाद्य आकाश में आपकी कीर्ति को बार-बार प्रसारित कर रहा है। (यह दुन्दुभि प्रातिहार्य का वर्णन है।)
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Shlok