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Title

Samaysaar - Gatha No. 14

जैसे जल का, अग्नि जिसका निमित्त है – ऐसी उष्णता के साथ संयुक्ततारूप – तप्ततारूप – अवस्था से अनुभव करने पर (जल की) उष्णता रूप संयुक्तता भूतार्थ है – सत्यार्थ है; तथापि एकान्त शीतलता रूप जल-स्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर ( उष्णता के साथ ) संयुक्तता अभूतार्थ है – असत्यार्थ है ।

इसीप्रकार आत्मा का, कर्म जिसका निमित्त है – ऐसे मोह के साथ संयुक्ततारूप अवस्था से अनुभव करने पर संयुक्तता भूतार्थ है – सत्यार्थ है; तथापि जो स्वयं एकान्त बोधरूप (ज्ञानरूप) है, ऐसे जीव-स्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर संयुक्तता अभूतार्थ है – असत्यार्थ है।

(गाथा 14 टीका)

Series

Samaysaar Drashtant Vaibhav

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36” x 48”

Orientation

Landscape

Completion Year

01-Jul-2018

Gatha

14