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Title

Samaysaar - Gatha No. 23,24,25

जिसप्रकार हाथी आदि पशु अनाज मिश्रित घास खाते है, पर उस मिश्रित स्वाद में यह भेद नहीं कर पाते हैं कि उसमें घास का स्वाद क्या है और अनाज का स्वाद क्या है। वे उस मिश्रित स्वाद को घास का ही स्वाद समझते है।

उसीप्रकार आत्मा और पुद्गल को एक साथ जाननेवाले अज्ञानीजन भेदविज्ञान के अभाव में दोनों की भिन्न पहचान नहीं कर पाते हैं और पुद्गल में अपनापन स्थापित कर लेते हैं।

(गाथा 23-24-25 टीका)

Series

Samaysaar Drashtant Vaibhav

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36" x 48"

Orientation

Landscape

Completion Year

01-Jul-2018

Gatha

23, 24, 25