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Title

Samaysaar - Gatha No. 86

जैसे कुम्हार घड़े की उत्पत्ति में अनुकूल (इच्छारूप और हस्तादि की क्रियारूप) व्यापार परिणाम को जो कि अपने से अभिन्न है और अपने से अभिन्न परिणति मात्र क्रिया से किया जाता है, उसे करता हुआ प्रतिभासित होता है; परन्तु घड़ा बनाने के अहंकार से भरा हुआ होने पर भी (वह कुम्हार) अपने व्यापार के अनुरूप मिट्टी के घट परिणाम को जो कि मिट्टी से अभिन्न परिणति मात्र क्रिया से किया जाता है, उसे करता हुआ प्रतिभासित नहीं होता।

इसीप्रकार आत्मा भी अज्ञान के कारण पुद्गल-कर्मरूप परिणाम के अनुकूल अपने परिणाम को, जो कि अपने से अभिन्न है और अपने से अभिन्न परिणति मात्र क्रिया से किया जाता है, उसे करता हुआ प्रतिभासित होता है; परन्तु पुद्गल के परिणाम को करने के अहंकार से भरा हुआ होने पर भी (वह आत्मा) अपने परिणाम के अनुरूप पुद्गल के परिणाम को, जो कि पुद्गल से अभिन्न है और पुद्गल से अभिन्न परिणति मात्र क्रिया से किया जाता है, उसे करता हुआ प्रतिभासित नहीं होता।

(गाथा 86 टीका)

Series

Samaysaar Drashtant Vaibhav

Category

Paintings

Medium

Oil on Canvas

Size

36" x 48"

Orientation

Landscape

Completion Year

01-Jul-2018

Gatha

86