Title
सत्य अहिंसादिक व्रत में भी, मैंने हृदय मलीन किया।
व्रत-विपरीत प्रवर्तन करके, शीलाचरण विलीन किया॥८॥
मैंने सत्य, अहिंसा आदि व्रतों का पालन करने में भी अपने मन को मलिन रखा तथा व्रतों से विपरीत प्रवृत्ति करके शीलमय आचरण/सदाचार का भी लोप कर डाला/स्वच्छन्द प्रवर्तन करने लगा। ८
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Shlok