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मैंने छली और मायावी, हो असत्य आचरण किया।
पर-निन्दा गाली चुगली जो, मुँह पर आया वमन किया।१०॥
हे भगवान! मैंने सदा छल/माया आदि कषायों के वशीभूत हो असत्य/वस्तु-स्वभाव के विरुद्ध आचरण किया है। मेरे मन में अन्य की निन्दा करने के, चुगली करने के, अन्य को गाली देने के इत्यादी जो भी भाव उत्पन्न हुए, तद्नुसार मुँह से भी उगला/वचनों से भी वैसा ही व्यवहार किया है।१०
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Shlok