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Title

Bhavna Battishi - Shlok no.21

जैसे अग्नि जलाती तरु को, तैसे नष्ट हुए स्वयमेव।

भय-विषाद-चिन्ता सब जिसके, परम शरण मुझको वह देव॥२१॥

जैसे अग्नि सहज ही वृक्ष को जला डालती है; उसीप्रकार जिसके भय, विषाद, चिन्ता आदि सभी विकार स्वयं ही नष्ट हो गए हैं, वह देव ही मुझे परम शरणभूत है।   २१

Series

Bhavna Battishi

Category

Paintings

Medium

Acrylic on Canvas

Size

36" x 24"

Orientation

Landscape

Completion Year

31-Dec-2021

Shlok

21