Title
तृण, चौकी, शिल शैल, शिखर नहीं, आत्मसमाधि के आसन।
संस्तर, पूजा, संघ-सम्मिलन, नहीं समाधि के साधन॥२२॥
तृण/घास का आसन, चौकी, शिला, पर्वत की चोटी आदि आत्मा में समाधि/स्थिरता के आसन नहीं है। इसीप्रकार संस्तर/संथारा, पूजा- प्रतिष्ठा, संघ का सम्मेलन अथवा योग्य संघ का समागम प्राप्त हो जाना, समाधि/आत्म-स्थिरता के साधन नहीं हैं। २२
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Shlok