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UTTAM SATYA DHARMA: Supreme Truth: Truth is the best virtue of all, the very basis of all faith. In it lies the experience of all-encompassing love, faith and belief. All virtues are inherent in the truthful who gains acceptance from everyone in the world and even in the next birth, including from all the celestial and human being who covet him. A liar is subjected to slander and condemnation; hated by all and the friends leave him in defiance. Rulers also punish him by mutilation and confiscating property. Liars take innumerable births in lowly speechless animal realm. Hence, embracing virtue of truth is in the best interest.
उत्तम सत्य धर्म : जो सत्य वचन है वह ही धर्म है। यह सत्य वचन दया धर्म का मूल कारण है, अनेक दोषों का निवारण करनेवाला है, इस भव में तथा परभव में सुख का करनेवाला है, सभी के विश्वास करने का कारण है। सत्यवादी में सभी गुण रहते हैं सत्यवादी सदाकाल कपटादि दोष रहित होकर जगत में भी मान्यता को प्राप्त होता है, तथा परलोक में अनेक देव, मनुष्यादि उसकी आज्ञा अपने मस्तक के ऊपर धारण करते हैं।असत्यवादी यहाँ भी अपवाद , निंदा करने योग्य होता है ,सभी की अप्रतीति का कारण है, बंधु- मित्रादि भी अवज्ञा करके छोड़ जाते हैं, राजा द्वारा जिह्वाछेद – सर्वस्व हरणादि दण्ड पाता है। परलोक में तिर्यंचगति में वचन रहित एकेन्द्रिय विकलत्रयादि में असंख्यात भव धारण करता है। अतः सत्यधर्म का धारण करना ही श्रेष्ठ है।
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